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10वीं सेलाक़ुई ऑल इंडिया इंटर-स्कूल इन्विटेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट में द दून स्कूल ने जीता खिताब

देहरादून। अंडर-19 बालकों के लिए आयोजित 10वीं सेलाक़ुई ऑल इंडिया इंटर-स्कूल इन्विटेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट आज रोमांचक फाइनल मुकाबले के साथ संपन्न हुआ, जिसने दर्शकों को अंतिम सीटी तक अपनी जगह से चिपका कर रखा। इस फाइनल मुकाबले में द दून स्कूल, देहरादून और मेयो कॉलेज, अजमेर के बीच खिताबी जंग देखने को मिली। मैच पूरी तरह से अपनी उम्मीदों पर खरा उतरा कृ एक तेज़-तर्रार और उच्च-स्तरीय मुकाबला जिसने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। द दून स्कूल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3-2 से विजय हासिल की। इस जीत में द दून स्कूल (देहरादून)  के  शौर्यजीत ने दो गोल दागे, जबकि लुक्ष शाह ने एक और गोल कर टूर्नामेंट में अपने कुल गोलों की संख्या बढ़ाई। मेयो कॉलेज की ओर से ज़ोरावर ने शानदार खेल दिखाते हुए दोनों गोल किए। यशवंत सिंह रावत, सिडकुल, के क्षेत्रीय प्रबंधक व डॉ. दिलीप कुमार पांडा, हेडमास्टर, सेलाकुई इंटरनेशनल स्कूल ने विजयी टीम को ट्रॉफी प्रदान की।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि यशवंत सिंह रावत थे, जो सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक हैं और उत्तराखंड की सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। वर्तमान में वह राज्य में डैडम् योजनाओं से जुड़े हुए हैं। उन्होंने खिलाड़ियों की खेल भावना और संघर्षशीलता की सराहना करते हुए कहा, ष्खेल में चरित्र निर्माण, अनुशासन और भविष्य के नेता तैयार करने की शक्ति होती है। इस वर्ष के टूर्नामेंट के विजेता द दून स्कूल, देहरादून और उपविजेता मेयो कॉलेज, अजमेर रहे।
व्यक्तिगत पुरस्कार विजेताओं में इमर्जिंग प्लेयर रूराहुल ओरम, द दून स्कूल, देहरादून, मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयररू तायर रिकम, सेलाक़ुई इंटरनेशनल स्कूल, देहरादून रहे। पिछले एक सप्ताह के दौरान, देश भर के आठ प्रतिष्ठित स्कूलों ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लिया और कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। जब विजेताओं ने ट्रॉफी उठाई और सेलाक़ुई इंटरनेशनल स्कूल के मैदान में तालियों की गूंज सुनाई दी, तो यह साफ हो गया कि टूर्नामेंट केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि टीमवर्क, सहनशीलता और आपसी सम्मान का उत्सव था। वही सेलाकुई इंटरनेशनल स्कूल के वरिष्ठ मास्टर, एशफोर्ड लियोनेट, बर्सर,  डॉ शिशिर श्रीवास्तव,  खेल प्रमुख, कंवलजीत सिंह धालीवाल आदि भी वहॉ मौजूद थे।

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