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आरक्षण नहीं परिवारवाद की फिक्र में बह रहे कांग्रेस के घड़ियाली आँसूः चौहान

देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा पंचायत चुनाव के बाद नतीजों को लेकर हवाई दावे कर रही कांग्रेस अब आरक्षण को लेकर घड़ियाली आँसू बहा रही है जो कि पूरी तरह से निरर्थक है। कांग्रेस की असल चिंता परिवारवाद है और सभी नेता इस पर समर्थन जता रहे हैं। जिला पंचायत मे आरक्षण को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर चौहान ने कहा कि कांग्रेस द्वारा उत्पन्न तमाम बाधाओं के बाद भी निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराये और अब कांग्रेस एक नयी फिक्र मे डूबी है और वह अच्छी तरह से वाक़िफ़ है कि आरक्षण नियमों के अनुरूप होगा। कांग्रेस को महिलाओं, एससी एसटी, ओबीसी के अधिकारों चिंता नही, बल्कि वह कुछ निश्चित जिलों को लेकर परेशान है।
उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा जारी आरक्षण निर्धारण की अनंतिम सूची है और उसमे आपत्ति का प्रावधान है।
ओबीसी के प्रतिनिधित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार पंचायती राज अधिनियम के दायरे में आरक्षण निर्धारित किया गया है। इसमें मातृ शक्ति, एससी एसटी और ओबीसी समाज का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है। सबकी प्राथमिकता है कि राज्य के विकास में सभी वर्गों की सहभागिता हो।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस की आवाज समाज के किसी भी वर्ग के लिए नही है, बल्कि वह आरक्षण निर्धारण का निर्धारण अपने परिजनों और करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए है। कांग्रेस के नेता महज देहरादून की सीट पर आपत्ति कर रहे है, जबकि अनंतिम आरक्षण अभी घोषित किया गया है। इससे कांग्रेस की मंशा को समझा जा सकता है। वह मातृ शक्ति का विरोध कर नहीं चाहते कि कि उनके नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्र में विकास की गति तेज हो। उनका धेय महज परिवारवाद की नींव को मजबूत करना है। वहीं कांग्रेस मे परिवारवाद के हिमायती इस पर मुखर हैं।
उन्होंने कहा कि आरक्षण तय होने के साथ कांग्रेस को संख्या बल से भी जूझना होगा, क्योकि झूठे और भ्रामक आंकड़ो की खेती से फसल नही काटी जा सकती है। कांग्रेस ने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 150 के करीब समर्थित प्रत्याशी घोषित किये वह 160 का दावा कैसे कर रही है? वह सच को जानती है और लगातार मिल रही पराजय के बाद हॉर्स रेस का जो टारगेट उन्हे केंद्र से मिला है वहाँ अब्बल दिखने की कोशिश भी कर रही है। कांग्रेस को परिवारवाद की चिंता को छोड़कर जमीनी हकीकत की और लौटने की जरूरत है।

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