उत्तराखंडदेहरादून

भाजपा ने वन नेशन वन इलेक्शन को जेपीसी में भेजने का स्वागत किया

देहरादून। भाजपा ने वन नेशन वन इलेक्शन को जेपीसी में भेजने का स्वागत करते हुए इसे देश की समृद्धि और विकास के लिए जरूरी बताया है। राज्यसभा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने स्पष्ट किया कि हम आम सहमति से इस बिल को पास कराने के पक्षधर हैं। और यही वजह है कि इसे विस्तृत विचार के लिए जेपीसी में भेजा गया है। उन्होंने कांग्रेसी रुख पर पलटवार किया कि जो आज इस बिल को संघीय ढांचे पर हमला बताते हैं, वही 1967 तक एक देश एक चुनाव पर ही शासन करते रहे। जबकि राष्ट्रहित में दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए, अब बारम्बार चुनावी चक्रव्यूह से बाहर निकलने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, अपने वादे के अनुशार हम वन नेशन वन इलेक्शन संशोधन कानून का प्रारूप संसद में लेकर आए हैं। अब इसे लोकसभा द्वारा जेपीसी में इसके सभी पहलुओं पर विचार के लिए आज भेजा गया है, जो स्वागत योग्य है। हालांकि इस संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर हमारा पक्ष स्पष्ट है, जनभावनाओं के अनुशार देश में विकास की रफ्तार और समृद्धि बढ़ाने के लिए एक साथ चुनाव होना आवश्यक है। क्योंकि चुनाव के चलते बार जारी होने वाली अधिसूचना और प्रक्रिया में लगने वाली इकाईयों के कारण विकास एवं जनकल्याण योजनाएं प्रभावित होती हैं। वहीं बड़े पैमाने पर सरकार और जनता के पैसे और समय की हानि होती है। और ऐसा नहीं कि इस तरह की व्यवस्था पहली बार होंगी, क्योंकि आजादी के बाद से लगभग दो दशक तक एक देश एक चुनाव पर ही भारत आगे बढ़ा था।
उन्होंने इस बिल को संविधान विरोधी बताने पर कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा, 1967 तक जो चुनाव एक साथ हुए, क्या वह संघीय ढांचे पर हमला और संविधान विरोधी था। अगर था, तो कांग्रेस पार्टी को अपने उस दौर के लिए माफी मांगनी चाहिए। लेकिन हमें पता है कि कांग्रेस कुछ नहीं कहेगी क्योंकि इस अच्छी प्रक्रिया को समाप्त करने वाले भी वहीं हैं। लोकतंत्र का गला घोंटने के लिए 67 में ही इंदिरा सरकार ने एक के बारहवें कई चुनी हुई राज्य सरकारों को गिराया था, और तब से एक साथ चुनाव नहीं हो पाए। अब उनका यह पाप सामने आ रहा है तो वे इस व्यवस्था के राष्ट्र हित होने के बावजूद विरोध कर रही है। उन्होंने कहा, अभी लगभग हर वक्त ही देश के किसी न किसी हिस्से में चुनावी माहौल चल रहा होता है। लिहाजा देश के विकास को प्रभावित करने वाली इस अनचाही परंपरा से बाहर निकलने की जरूरत है। जिसके लिए सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठने की जरूरत है, क्योंकि 2024 का जनादेश भी यही कहता है। लिहाजा सत्युक्त संसदीय कमेटी में विस्तार पूर्वक चर्चा कर इस महत्वपूर्ण संशोधन बिल को शीघ्र अतिशीघ्र संसद से पास कर कानूनी जामा पहनाया जाए।

 

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