उत्तराखंडदेहरादून

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र का आईआईएम में दीक्षांत भाषण

देहरादून। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, मुंबई के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया और एमबीए, कार्यकारी एमबीए और पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी तथा भारत के अग्रणी आईआईएम की सूची में इस संस्थान के छठे स्थान पर पहुंचने की सराहना की। विद्यार्थियों और अभिभावकों को बधाई देते हुए, डॉ. मिश्र ने जोर देकर कहा कि सफलता एक सामूहिक उपलब्धि है जिसमें शिक्षक, परिवार और सहकर्मी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, “यह डिग्री आपके अपने प्रयासों के साथ-साथ उनके प्यार, धैर्य और सहयोग का भी परिणाम है।”वैश्विक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, डॉ. मिश्र ने कोविड-19 महामारी, व्यापार युद्धों, भू-राजनैतिक तनावों, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी व्यवधानों का हवाला देकर वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की जटिलताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” के मंत्र से प्रेरित प्रधानमंत्री मोदी जी के विकसित भारत/2047 के विजन के तहत भारत साहस और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।
100 से अधिक यूनिकॉर्न और 1.9 लाख स्टार्टअप के साथ भारत के वैश्विक नवाचार महाशक्ति के रूप में उभरने पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मिश्र ने 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से अनुसंधान राष्ट्रीय रिसर्च कोष, इंडियाएआई मिशन और डीप टेक फंड ऑफ फंड्स सहित विभिन्न सरकारी पहलों का विस्तृत विवरण दिया। मानव संसाधन विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, डॉ. मिश्र ने इस बात पर जोर दिया कि केवल तकनीकी कौशल ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने दृष्टिकोण, टीम वर्क, खुलेपन, आपसी सम्मान, विनम्रता, नैतिकता, पारदर्शिता और न्यायसंगत के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “टीम वर्क शायद व्यक्तिगत प्रतिभा से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है।”
मानव संसाधन विकास के बारे में बोलते हुए, उन्होंने स्नातकों से निरंतर सीखने का आग्रह किया और कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में ज्ञान अप्रचलित हो जाता है। उन्होंने बड़े संगठनों में मूल्यों को स्थापित करने की चुनौती और निरंतर प्रेरणा की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रशासनिक सुधारों की विकसित होती संरचना के बारे में बोलते हुए, डॉ. पी. के. मिश्र ने 2014 से कार्मिक प्रबंधन में हुए रणनीतिक बदलाव पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य 21वीं सदी की सिविल सेवा का निर्माण करना है। एक प्रमुख सुधार भारत सरकार के संयुक्त सचिव, अपर सचिव और सचिव जैसे वरिष्ठ पदों के लिए पैनल प्रक्रिया में लाया गया व्यापक बदलाव रहा है। उन्होंने कहा कि वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्टों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए, सरकार ने 2016 में एक बहु-स्रोत प्रतिक्रिया (एमएसएफ) प्रणाली शुरू की। इस प्रणाली में वरिष्ठों, कनिष्ठों, सहकर्मियों और बाहरी हितधारकों के मूल्यांकन शामिल हैं, जो निर्णय लेने, स्वामित्व, वितरण, सक्रियता और ईमानदारी के मामले में प्रतिष्ठा जैसी विशेषताओं का आकलन करते हैं।
डॉ. मिश्र ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस सुधार ने प्रतिभाओं के समूह को व्यापक बनाया है और चयन की निष्पक्षता के मामले में मजबूत विश्वसनीयता प्रदान की है। अब केन्द्र सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों में नियुक्तियों में विशेषज्ञता, योग्यता और प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये बदलाव लगभग एक दशक से जारी हैं और तेजी से विकसित हो रहे भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शासन व्यवस्था को धीरे-धीरे नया रूप दे रहे हैं।
उन्होंने 2016 में ग्रुप बी और सी के पदों के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार बंद करने के तथ्य को भी रेखांकित किया, जिससे पक्षपात और व्यक्तिपरकता कम हुई। उन्होंने मिशन कर्मयोगी के बारे में भी विस्तार से बताया। इस मिशन ने आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के जरिए सिविल सेवा क्षमता निर्माण में व्यापक बदलाव लाया है, जो अब 3,300 से अधिक पाठ्यक्रमों को  उपलब्ध कराता है और 1.3 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करता है। डॉ. मिश्र ने बताया कि इसमें शामिल किए गए 79 प्रतिशत कर्मचारी जूनियर स्तर के हैं और 50 लाख से ज़्यादा कर्मचारियों ने विशिष्ट भूमिका वाले पाठ्यक्रम पूरे कर लिए हैं। उन्होंने पाठ्यक्रम पूरा करने को वार्षिक कार्य-निष्पादन मूल्यांकन में शामिल करने और कर्मयोगी योग्यता मॉडल के विकास पर जोर दिया। उन्होंने 107 मंत्रालयों/विभागों एवं संगठनों की सहायता करने और प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने में क्षमता निर्माण आयोग की भूमिका का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए गतिशक्ति प्लेटफॉर्म से जुड़ी एक डिजिटल एसेट रजिस्ट्री के निर्माण की घोषणा की।

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