उत्तराखंडदेहरादून

मुख्यमंत्री ने संविधान की उद्देशिका की शपथ दिलाई

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संविधान दिवस के अवसर पर बुधवार को पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में भारत के संविधान की उद्देशिका की शपथ दिलाई और अभियोजन विभाग की पत्रिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी को संविधान एवं विधि दिवस की शुभकामनाएं देते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर का भी भावपूर्ण स्मरण किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि नए आपराधिक कानूनों के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए अभियोजन विभाग को सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। विभाग को डिजिटलीकरण के कार्य के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी। अभियोजन विभाग में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी। अभियोजन विभाग के अधिकारियों को राज्य में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियों का प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियोजन सेवा हमारी न्याय व्यवस्था का वह महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो सत्य को प्रतिष्ठित करने और न्याय की प्रक्रिया को पारदर्शी व प्रभावी बनाने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 का दिन भारत के इतिहास में सदैव एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा। इसी दिन भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया था। 26 नवंबर को विधि दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 1979 में प्रख्यात विधिवेत्ता स्व. डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा की गई थी। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में एक राष्ट्रीय पर्व की भांति मनाने का निर्णय लेकर हमारे सभी संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि देने का कार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी न्याय-व्यवस्था को आधुनिक, सशक्त, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाने के लिए अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार “भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023” लागू करने का ऐतिहासिक कार्य किया गया है। लोगों को सुलभ, सरल और समयबद्ध न्याय उपलब्ध कराने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट, नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स, महिला एवं बाल अपराधों के लिए त्वरित न्याय तंत्र, मेडिएशन बिल, टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई और डिजिटल केस मैनेजमेंट सिस्टम जैसी सभी पहलें न्याय व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, तीव्र और सुगम बनाने की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही हैं। नए कानूनों के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को भी सबूत के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, जिससे जांच और अभियोजन प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक विश्वसनीय, वैज्ञानिक और प्रमाणिक बनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य में न्याय व्यवस्था को आधुनिक स्वरूप देने के लिए नए न्यायालय भवनों का निर्माण और मौजूदा संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण भी किया जा रहा है। डिजिटल कोर्ट्स, ई-फाइलिंग और वर्चुअल हियरिंग की प्रणालियों को और अधिक सशक्त किया जा रहा है। विधि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और युवा अधिवक्ताओं को मेंटरशिप उपलब्ध कराने के साथ ही महिला अधिवक्ताओं के लिए भी सुरक्षित व अनुकूल वातावरण विकसित करने की दिशा में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में सख्त नकल-विरोधी कानून लागू करने, यूसीसी जैसे अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। इस अवसर पर विधायक विनोद चमोली, सचिव गृह शैलेश बगोली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, निदेशक अभियोजन ए.पी. अंशुमान तथा पुलिस एवं अभियोजन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button